Galti Ki
है कितना गुस्सा देख,
आँखों से आँख मिला।
क्यों गलती कर दी ये,
मुझको दे बता।
तेरे घर में तेरे अपने हैं,
उनकी आँखों में,
कितने सपने हैं।
उन सपनों का किया है
तूने क़त्ल समझा क्या?
ओ बे-रहम,
ओ बेशरम,
ओ भेड़िये कर ले शर्म।
ओ बे-रहम ओ बेशरम,
वो भी थी बेटी,
वो बहन थी किसी की।
तेरी भी माँ है,
वो थी ज़िंदगी।
क्यों नोच डाला?
क्यों घोंट डाला?
क्यों रेत डाला?
तूने ये जिस्म।
गलती की
तूने गलती की।
तेरे ही जैसे होते हैं वहशी,
दरिंदे घिनौने,
मरने के क़ाबिल।
पूछ ज़रा खुद से,
हुआ क्या हासिल।
ओ कायर ओ बुज़दिल।
गलती की
हो
तूने गलती की।
माफी नहीं मिलेगी अब,
ना आज और ना ही कभी।
कर्मों की करनी भुगतनी पड़ेगी,
निकलेगी चीखें तेरी भी कभी।
ओ बे-रहम,
ओ बेशरम !
Galti Ki Written By Pardeep Sharma Reg.SWA
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